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एक दिन, जख्मी शेर जंगल में चल रहा था। उसका पैर ठीक करने के लिए वह वृक्ष पर चढ़ गया। दुर्भाग्य से, उसपर बैठे हुए खरगोश उसके पैर पर गिर गए। शेर चिढ़ा और उसे दौड़ाता हुआ दौड़ गया।
शेर बहुत तेज़ दौड़ रहा था, लेकिन उसे खरगोश पकड़ने में नहीं कामयाबी मिल रही थी। खरगोश को चेतावनी दी गई, लेकिन वह नहीं सुन रहा था।
आखिरकार, शेर थक गया। उसने खरगोश से कहा, 'मुझसे बच जाओ, मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगा।' खरगोश ने जोरदार कूद मारी और शेर को छोड़कर भाग गया।
खरगोश भाग गया लेकिन फिर वापस आया और शेर को एक छोटा सा गिलहरी लेकर आया। यह गिलहरी शेर कीचड़ में फंस गई थी और मदद के लिए गिलहरी को जख्मी शेर की जरूरत थी।
जख्मी शेर गिलहरी तक पहुंचा और उसे निकाल लिया। उसने शेर को कहा, 'धन्यवाद, तुम मेरे अच्छे दोस्त हो।'
इस कहानी का संदेश है कि हमें किसी के साथ आपसी बैर या क्रोध नहीं रखना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए जब वे हमारी मदद की आवश्यकता हो।
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